Sunday, March 11, 2018

खर्राटे!!




बात आप तक आ गई है 
होठों पर आते आते
चाहे जुड़े हैं कसमों रस्मों से
ये जन्मों के रिश्ते नाते
सहे नहीं जाते हैं मुझसे
उनके रोज़ रोज़ खर्राटे !!


सख्त कठोर हथौड़े कैसे
पड़ते हो कीलों पे जैसे
या रेस में बिगुल बजने पर
कसी लगाम चाबूक जड़ने पर
जब
हज़ार घोड़े हों दौड़ लगाते
इतने जोशीले होते हैं उनके ये खर्राटे!!


काम की लिस्ट मोटी थी
तय कर ऑफिस से लौटी थी
सुबह उठना है जल्दी
रह गई आँखे मैं मलती
और,
वो सोए जैसे सौ शेर हो गुर्राते
भोर तक लेते रहे चैन के खर्राटे!!


कानों में रुई के फाहे डाले
खुद को नींद के किया हवाले
तकिया दो हिस्सों में बँटा था
बस सपनों का टिकट कटा था
उफ्फ,
ट्रेन के जनरल डब्बों जैसे
धड़धड़ खड़खड़ चलते रहे खर्राटे!!


छुट्टी रविवार की आई थी
ओढ़ी जयपुरी रजाई थी
अच्छे दिन की अँगड़ाई अब ली
मैंने जनता सी करवट बदली
फिर
वो रहे सरकारी-बाबू से सुस्ताते
भरी दुपहरी चलाए वादों के खर्राटे!!


नज़्म मेरी मशहूर हुई
तारीफें थीं भरपूर हुई
खुशी जाहिर की उन्होंने
वो कैसे पीछे रह जाते !!
तो,
गड़-गड़-गड़-गड़ बजे
रात भर नगाड़े से खर्राटे !!
© जूही गुप्ते


Thursday, March 1, 2018

In response to Yahya's "bol na"



बोल ना बोल ना कहकर
बहुत वाहवाही बटोरने लगे हो
पर अकेले सस्केस फीकी है न

मेरी तरह अब कोई तुम्हारी
कामयाबी पर तुरंत मिलने की
जिद करती है क्या?

क्या वो भी Maggi में घी डालकर 
मेरी तरह तुम्हें खिलाती है ?
और तुम उसे भी कहते हो 
मोटी , तू पूरी पागल है | 

और तुम्हारी उदासी !!
देखी जाती है उससे?
क्या वो भी 'शीनचैन' की आवाज में
"donkey ,I love you "
बोलकर हँसाती है ??
तुम्हारे stay away यार कहने पर 
चाबियाँ पटक के कहती है ?
Ok fine कि मैं जा रही हूँ |
:)

और रात के 3 बजे 
तुम्हारे sorry yar,am such a looser
मैसेज पे अकड़ के reply करतीं है ?
its loser, एक ही O होता है !!

नहीं , मैं किसी के spellings 
ठीक नहीं करती 
वो कार चलाते हुए 
एक टक नज़रों से 
नहीं देखता मुझे 
मेरा हाथ पकड़कर 
होठों से छूता भी नहीं 
तुम्हारी तरह 

नहीं train आने तक 
हमारी उँगलियाँ कसी 
हुई रहती है ,
एक दूसरे के हाथों में 
तुम्हारी तरह मेरा bag 
देना भूलता नहीं वो 
:)

मेरे birthday कि रात को 
January की ठंडक में 
"मां , गर्मी है| टहल के आता हूँ "
बोलकर
मुझे हॉस्टल पर विश 
करने नहीं आता वो 

अब मैं रोते रोते 
उसकी शर्ट से नाक 
नहीं पोंछती हूँ 
बेवजह किसी बात पर 
उसके गले लगकर 
सिमटना भी नहीं हुआ मुझसे 

शाम को उसको 
you reached kya?
पूछती नहीं रोज़ 
"तुम्हें exactly कैसे पता होता है 
मैं पहुँच गया "
भी नहीं कहता वो 

हाँ  उसका नाम 100 बार 
whats app पे लिख लिख कर 
नहीं भेजती ऑफिस से 
अपने नाम के आगे तुम्हारा 
नाम लिख के शीशे पे 
मिटा दिया करती हूँ 
नहाने के बाद 
हाँ वही शीशा जहाँ तुमने 
साथ खड़े रहकर कहा था 
You !! Me!! Us!!


और हाँ ,
चुप रहकर मुझे खोने के बाद 
अब बोल रहे हो तो 
ये सवाल -जवाब चलने दो 
सिलसिला कम से कम 
हमें एक रखेगा 
क़यामत के दिन तक 
मैं रिश्ता निभाऊँगी 
तुम videos बनाते रहो 

© Juhi Gupte