Monday, August 15, 2016

इस तिरंगे में कुछ बात तो है !

"मेरा वास्ता एक दिन के अवकाश से" 
कह आई थी ऑफिस में अंदाज़ से 
सज्ज बाज़ार!! पर्व की शुरूआत तो है
इस तिरंगे में कुछ बात तो है !

साथ पड़े थे गाजर-मूली-गोभी
रंग उनके देख मुस्कुरा बैठी मैं भी
खाने में स्वाधीनता का स्वाद तो है
इस तिरंगे में कुछ बात तो है !

आज़ादी के किस्से किताबों में बंद हुए
भाषण और वो गीत थोड़े नापसंद हुए
सफ़ेद यूनिफार्म की यादें ,'सौगात' तो है
इस तिरंगे में कुछ बात तो है

नीला पासपोर्ट या हो क्रिकेट संग्राम
विदेशों से "मिस यू इंडिया" के ऐलान
"भारतीय" कहलाने के गर्वित हालात तो हैं
इस तिरंगे में कुछ बात तो है

राष्ट्रगान की धुन कानों में पड़ते ही
व्हाट्सएप्प पर झंडे का इमोजी आते ही
आँखों में सैलाब-ए -जज़्बात क्यों है?
इस तिरंगे में कुछ बात तो है

समस्याएँ तो हर घर में होती है
पर स्वादिष्ट सबसे माँ की रोटी है
जगमगाती सतहरवीं वर्षगाँठ तो है
इस तिरंगे में कुछ बात तो है

केसरिया इतिहास सूर्योदय गाता है
“हरा होगा शुभ्र प्रयास”, दोहराता है
स्वप्निल कल का आगाज़ तो है
इस तिरंगे में कुछ बात तो है

© जूही गुप्ते



Thursday, August 4, 2016

Micropoetry 10





Several kisses pour in..
.. 
On his display pictures


Busy day blushes; night never naps


Still awake is the love


In long distance relationships!!


© Juhi Gupte