Wednesday, October 14, 2015

नवरूपा

शुभारंभ हुआ शारदीय नवरात्रि का
आवाह्न होगा आदि-शक्ति का
मैंने देखे हैं रूप कुछ इस ऊर्जा के
नित भरे जो रंग मेरे जीवन में 

तो सुनो कहानी सीधी-सादी सी 
एक देवी थी , कहलाती दादी थी!
परिवर्तन-प्रिय ,वह सजग रहा करती थी
दृढता से सुविचार रखा करती थी !!

अनवरत करती है निःस्वार्थ समर्पण
सकुशल निर्णय और सौम्य अपनापन
जो इनसे मिला वह अभिभूत हुआ है
अवर्णनीय यह दूसरी देवी मेरी बुआ है

कभी ओढ़ा दे माँ के आँचल-सी छाँव,
साथ मेरे ; जीवन का कोई हो पड़ाव!
सहज-सहनशील , कोई चालाकी है,
तृतीय पूज्य देवी ऐसी मेरी काकी है!

मनमुटाव और उन्मुक्त हँसी ठिठोली,
सलाहकार मेरी तो कभी सहेली!
कर्तव्यनिष्ठ है ; बेहद साहसी है
बहन है चौथी देवी , बात ज़रा सी है!

पंचम रूप अनुकरणीय दोस्त का,
वंदन छठे रूप में सहाय्य-पड़ोस का!
स्त्री हर रूप में आराध्या बारी-बारी है,
सातवीं सेविका और आठवीं सहकारी है !

नवम रूप है अतुलनीय ममता का
ऋणी मेरा कण-कण ,अथक क्षमता का
मूर्तियों को क्यों प्रसन्न करने जाऊँ मैं ?
हूँ सफल, अगर इनका सम्मान कर पाऊँ मैं!!

© जूही गुप्ते