Tuesday, February 21, 2017

किताबों वाली बातें




तीखी धूप को छाँव बनाती ,किताबों वाली बातें 
बैठे-बैठे सैर कराती , किताबों वाली बातें 

देश-दिशा-दशा दिखाती ,किताबों वाली बातें
भाषा-भाव-भेस बताती , किताबों वाली बातें

काली खाली रातें भर जाती , किताबों वाली बातें 
ऊर्जा बन कर दिन सजाती , किताबों वाली बातें

उलझन का धागा सुलझाती, किताबों वाली बातें 
बरबस ही उम्मीद जगाती ,किताबों वाली बातें 

सृजन-कल्प-अनुभव संचय, किताबों वाली बातें 
आत्म संतृप्ति और परिचय , किताबों वाली बातें 

कैसे अंतर्मन को छू पाती हैं ,किताबों वाली बातें?
महज़ किताबी नहीं होती हैं ,किताबों वाली बातें

हाँ ,मैंने फिर कह दी हैं , किताबों वाली बातें
तेरे मेरे किस्से दोहराती, ये किताबों वाली बातें

© Juhi Gupte


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