My heart; it speaks a thousand words
Poems by Juhi
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Micropoetry
Thursday, November 24, 2016
मेरे पाँच सौ , तुम्हारे हज़ार
हैं बँधे एक डोर से हम-तुम
क्यों है दूर रुके से गुमसुम ?
साथ चलो फिर एक बार
कदम पांच सौ , साँसे हज़ार
वक़्त
फिसलता
चलता
है
मन
को
कौन
समझता
है
कभी
नखरे,
कभी
तकरार
मेरे पाँच
सौ
,
तुम्हारे
हज़ार!!
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