शर तेरे क्यों ठंडे
है पड़े??
दुष्ट 'निर्भय' डटे है
खड़े!
वह विकल प्रतिदिन युद्ध
लड़े
बनी सामान मात्र साज
का
क्या हुआ राम तेरे
राज का?
थे जो सगे उस पर टूटे
बस मुठ्ठी भर का मॉस
हुई
वह निष्पाप,
वह अजन्मा
फिर रुढियों का ग्रास हुई
आँचल मैला हुआ समाज का
क्या हुआ राम तेरे राज का?
त्रेता में रावण थर्राया
भ्रमित -ज्ञानी मरण पाया
द्वापर में एक पुकार पर
तू त्रिलोक छोड़ दौड़ा आया
कलि में व्यापार उसकी लाज का
क्या हुआ राम तेरे राज का?
हे पत्थर में प्राण फूँकने वाले
क्या धूल चढ़ी तेरे शस्त्रो पर
?
"वनवासी
", अब सुंदर वस्त्रों में
तू मंदिर बैठा पाषाण है
!!
उठ !! समय है तेरे काज का
क्या हुआ राम तेरे राज का?
'सत्य ' भयभीत और मौन हुआ
था ईश्वर !! अब तू कौन हुआ ?
त्याग माधुर्य संहार तू कर
रूद्र का अवतार तू धर
दे हिसाब कल और आज का
!!
क्या हुआ राम तेरे राज का?
© जूही गुप्ते
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