My heart; it speaks a thousand words
Poems by Juhi
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Micropoetry
Monday, March 13, 2017
micropoetry
Darkness within me
Chokes and chains
Smothers the yearnings
Happiness perspires
Dies in empty eyes
Sadness respires
Ends in curved lips
Long live me in pieces
Rest in peace “myself”
© Juhi Gupte
मेरा रंग
नारियल,फूल ,मिठाई
अग्नि-अर्पित गेहूँ की जवारे
नई शरारती पिचकारी
तीन-चार पॅकेट गुब्बारे
बेहद खास त्यौहार की
वो सीधी-सादी तैयारी
निकल पड़ती अल-सुबह
नन्हे पड़ोसियों की टोली
अठखेलियों के छीटों से
एक सराबोर बरामदा
बेपरवाह चेहरों की
रंग-बिरंगी रंगोली
महत्त्वाकांक्षी होड़ में गुजरा
नम आँखों में सूखा फागुन
पानी-सा पारदर्शी नहीं
टूटता कहीं,बिखरता मन
दूर है मुझसे , जाने कब छुटा
मेरा रंग , मेरा बचपन
©
जूही गुप्ते
Tuesday, March 7, 2017
Be you!!
Wednesday, March 1, 2017
Proclivity
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